नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Peepal ke Best 9+ upyog जो आपके बहुत काम सकती है। इसलिए आप से निवेदन है की आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
कई बार हमारे पास Peepal होता तो है पर उसके उपयोग हमें पता नहीं होते ऐसे में हमको कई बार इसका उपयोग करना पड़ता है। इसलिए हम आपको बताने वाले है Peepal के उपयोग।

अन्य भाषाओं में Peepal के नाम
संस्कृत – अश्वत्थ , पिप्पल , गजाशन
बंगाली – अश्वत्थ
हिन्दी – पीपल
तेलगु – राईचेटु , कुलुजब्विचेटु
मराठी – पिंपल
अंग्रेज़ी – पोपलर लीव्ड फिग ट्री
गुजराती – पीपलो
लैटिन – फाइकस रिलिजिओसा
परिचय
Peepal का वृक्ष सभी जगह पाया जाता है । यह स्वयं ही उग आता है या इसे उगाया जाता है , परन्तु हिमालय के तराई वाले जंगलों , उड़ीसा और मध्य भारत में यह विशेष रूप से पाया जाता है । पीपल के वृक्ष से जीवनदानी ऑक्सीजन गैस करने वाला , निकलती है तथा यह कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेता है । इसी कारण इसे आयुप्रदाता भी कहा जाता है ।
प्रयोग
Peepal देर में पचने वाला , शीतल , भारी , कसैला , रूखा , वर्ण को उत्तम करने वाला , योनि को शुद्ध पित्त , कफ , व्रण तथा रक्तविकार को नष्ट करने वाला है । यह मुखपाक , लालास्त्राव , प्रदर रोग आदि दूर करता है । अश्वत्थ क्वाथ के साथ पकाया हुआ तैल आमातिसार , रक्तातिसार , प्रदर में अनुवासन वस्ति रूप में हितकार है । इसके बीजों का चूर्ण श्वास रोग में हितकार है । मुखपाक अथवा साधारण मुख के क्षत में शहद के साथ पीपल की छाल के चूर्ण का लेप करना हितकर है । इसका क्वाथ व्रणक्षतादि के धोने में लाभ देता है । इसके क्वाथ से कुल्ले करने से लालास्त्राव में आराम आता है ।
विभिन्न रोग व उपचार
कनफेड़
Peepal के पत्तों पर घी चुपड़कर आँच पर गर्म करें और सूजन वाले स्थान पर रखकर ऊपर से पट्टी बाँध दें।कनफेड़ में आराम आता है ।
फोड़े व फँसी
Peepal के पत्तों पर घी चुपड़कर थोड़ा – सा गर्म करके फोड़े पर रखकर ऊपर से पट्टी बाँध दें।अगर फोड़े में पस पड़ी हो तो फोड़ा फटकर पस निकल जाएगी ।
इसकी छाल को जल में घिसकर फोड़े – फुसियों पर लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाती हैं ।
बाँझपन
इसके सूखे फलों की 1-2 ग्राम चूर्ण की फंकी कच्चे दूध के साथ लेने से मासिक धर्म के शुद्ध होने के पश्चात 14 दिन तक देने से स्त्री का बाँझपन मिटता है।
रवाज – खुजली
खाज – खुजली में 50 ग्राम Peepal की छाल की राख तथा आवश्यकतानुसार चूना व घी मिलाकर अच्छी प्रकार से खरल कर लेप करने से लाभ होगा ।
इसकी छाल का 1 चम्मच क्वाथ नियमित रूप से सुबह शाम पिलाने से खुजली मिटती है ।
दमा
Peepal की छाल और पके फल का चूर्ण समभाग मिलाकर पीस लें । आधे चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार देने से दमे में लाभ होगा ।
इसके सूखे फलों को पीसकर चूर्ण कर लें । 2 से 3 ग्राम तक की मात्रा में 14 दिन तक इस चूर्ण का जल के साथ सुबह – शाम सेवन करने से रोगी का श्वास मिटता है ।
हकलाना Peepal के पके फलों का चूर्ण आधा चम्मच शहद के साथ सुबह – शाम सेवन करने से हकलाहट में लाभ होता है और वाणी में भी सुधार होता है ।
रक्त शुद्धि
Peepal के 1 से 2 ग्राम बीजों का चूर्ण शहद के साथ सुबह – शाम चाटने से रक्त शुद्ध होता है ।
मूत्रविकार
Peepal की छाल का क्वाथ या फांट पिलाने से मूत्र के सभी विकार समाप्त हो जाते हैं ।
पीलिया
Peepal के 3-4 नए पत्तों को पानी में धोकर मिश्री के साथ खरल में खूब घोटें । इन्हें बारीक पीसकर 250 मिलीलीटर पानी में घोलकर छान लें।यह शर्बत रोगी को दिन में 2 बार पिलाएँ । यह शर्बत 3-4 दिन प्रयोग करें । पीलिया रोग में लाभ होगा ।
बिवाई
हाथ – पाँव फटने पर Peepal के पत्तों का रस या दूध लगाएँ ।
उदरशूल
उदरशूल होने पर Peepal के ढाई पत्तों को पीसकर 50 ग्राम गुड़ में गोली बनाकर दिन में 3-4 बार एक – एक गोली लेने से लाभ होगा ।
चर्मरोग
Peepal की कोमल कोपलें खाने से खुजली और त्वचा पर फैलने वाले चर्मरोग नष्ट होते हैं । इसका 40 मिली लीटर काढ़ा बनाकर पीने से भी लाभ होता है ।
दातुन
Peepal की ताज़ी टहनी से प्रतिदिन दातुन करने से दाँत मज़बूत होकर मसूड़ों की सूजन जाती रहती है एवं मुँह में आने वाली दुर्गन्ध भी खत्म हो जाती है ।
रक्तविकार
वातरक्त आदि रक्तविकारों में Peepal की छाल के 40 मिली लीटर क्वाथ में 5 ग्राम शहद मिलाकर सुबह – शाम पिलाएँ । रक्तविकार में आराम आएगा ।
रक्तपित्त
Peepal के फलों का चूर्ण करके और मिश्री मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सुबह , दोपहर और सायं ठण्डे जल के साथ लेने से कुछ ही दिनों में रक्तपित्त में लाभ होता है ।
पाव
Peepal की छाल का महीन चूर्ण घाव तथा चोट पर लगाने से रक्तस्त्राव बंद होकर घाव शीघ्र भर जाता है।
सड़े हुए तथा न भरने वाले घावों पर Peepal की अंतर छाल को गुलाबजल में घिसकर लगाने से घाव जल्दी शुद्ध होकर भर जाते हैं.
क्या है पीपल? (पीपल क्या है?)
पीपल विषाक्तता कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और मृत्यु का मतलब ऑक्सीजन (हिंदी में पीपल के पेड़ की जानकारी) है। Peepal के पेड़ की छाया बहुत ठंडी होती है। पीपल का पेड़ लगभग 10-20 मीटर लंबा होता है। इसके कई प्रभाव हैं, यह विशाल है और यह कई वर्षों तक जीवित रहता है। पुराने पेड़ की छाल फटी हुई है और सफेद-भूरे रंग की है। इसके नए पत्ते (पीपल का पत्ता) नरम, चिकने और हल्के लाल रंग के होते हैं। इसके फल चिकने, गोलाकार, छोटे होते हैं। यह कच्ची अवस्था में हरी और पकी अवस्था में बैंगनी रंग की होती है।
पीपल के पौधे की जड़ मिट्टी के भीतर बीज से ढकी होती है और दूर-दूर तक फैल जाती है। टब में पेड़ की तरह, इसकी पुरानी ट्रंक और मोटी शाखाएं इसमें से निकलती हैं। इसे Peepal की दाढ़ी कहते हैं। ये जाट बहुत मोटे या लंबे नहीं होते हैं। एक चिपचिपा सफेद पदार्थ (जैसे दूध) उसकी सूंड या शाखाओं को तोड़कर या कोमल पत्तियों को तोड़कर बनाया जाता है।
- आप एक घाव पर Peepal के पेड़ के लाभों को भी काट सकते हैं। पीपल की कोमल कोपलों को जलाकर कपड़े से छान लें। पुराने मौसम के फोड़े-फुंसियों पर इसका छिड़काव करना लाभकारी होता है।
- पीपल की छाल के पाउडर को पीसकर उसमें घी मिलाएं। जलने या चोट लगने से होने वाले घाव पर इसे लगाने से रक्तस्राव रुक जाता है और घाव भरने से तुरंत राहत मिलती है।
- आग से जलने से हुए घाव पर पीपल की छाल का चूर्ण छिड़कने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
- पुराने, गैर-हीलिंग घावों पर, पीपल के अंतर की छाल को गुलाब जल में घिसें। ये घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।
- घाव पर दवा लगाएं और इसे मुलायम पीपल के पत्तों से ढक दें। घाव को सुखाएं।
- अर्जुन, गूलर, पीपल, लोध्र, जामुन और कटलफिश की छाल लेकर चूर्ण बना लें। इसे घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
- टब पाउडर, गूलर, पिप्पल, और वेटस छाल में पर्याप्त घी डालें। जब लागू किया जाता है, तो घाव की सूजन ठीक हो जाती है।
- घाव पर ताजे, पीपल के पत्तों का बारीक चूर्ण छिड़कने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
- हरे पीपल की छाल और हरी पत्तियों से बने पेस्ट में शहद मिलाएं और इसे घाव पर लगाने से आपका मुंह खत्म हो जाता है।
- 21 पीपल की गुठली और गोली को गुड़ में मिलाकर पीस लें। इसे 7 दिनों तक दिन में दो बार लेने से चोट के कारण होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
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