नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Haldi ke Best 9+ upyog जो आपके बहुत काम सकती है। इसलिए आप से निवेदन है की आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
कई बार हमारे पास Haldi होता तो है पर उसके उपयोग हमें पता नहीं होते ऐसे में हमको कई बार इसका उपयोग करना पड़ता है। इसलिए हम आपको बताने वाले है Haldi के उपयोग।

अन्य भाषाओं में Haldi के नाम
मराठी – हलद
बंगाली – हरिद्रा , हलुद
तेलुगु- पासुपु
अरबी – डरुफुस्सुकुर
संस्कृत -हरिद्रा , पीता , वरवर्णिनी ,
फारसी- जरदपोप कृमिघ्ना , योषितप्रिया
हिन्दी- हल्दी
गुजराती – हलदर
पंजाबी – हरदल
अंग्रेज़ी – टरमेरिक
परिचय
Haldi से सभी परिचित हैं । भारतीय गृहणियों की रसोई में प्रयोग होने वाले मसालों में हल्दी का विशेष स्थान है । हल्दी के बिना कोई भी मांगलिक कार्य पूरा नहीं होता । सौन्दर्य प्रसाधनों में भी इसका इस्तेमाल होता है । इसकी कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं । जैसे आंबा हल्दी , वनहरिद्रा अर्थात् जंगली हल्दी , दारूहल्दी , गाँठ हल्दी आदि ।
प्रयोग
Haldi का प्रयोग हमारे देश में प्रायः सभी लोग प्रतिदिन करते हैं । पूजा – पाठ में भी हल्दी का उपयोग होता है । अत : यह अत्यन्त पवित्र और महत्त्वपूर्ण औषधि है ।
चिकित्सा में भी इसका प्रयोग मुख्यतः रोगों में किया जाता है । जैसे प्रतिश्याय में गरम दूध में Haldi मिलाकर पीने से लाभ होता है । चर्म रोगों में व शरीर का वर्ण निखारने के लिए इसको लगाया व खिलाया जाता है । खाँसी में हल्दी को भूनकर 1 से 2 ग्राम की मात्रा में शहद अथवा घी के साथ चाटने से लाभ होता है ।
विभिन्न रोग व उपचार
खाँसी , जुकाम
खाँसी में Haldi को भूनकर इसका 1 से 2 ग्राम चूर्ण शहद या घी के साथ चाटने से लाभ होता है । जुकाम में हल्दी के धुएँ को रात के समय सूंघते हैं । उसके बाद कुछ देर तक पानी नहीं पीते , इससे जुकाम में शीघ्र लाभ होता है ।
पीलिया
पीलिया रोग में 12 ग्राम हल्दी का चूर्ण 50 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है । 6 ग्राम Haldi को मढे में मिलाकर दिन में चार – पाँच बार सेवन करने से पीलिया रोग शान्त हो जाता है ।
लौहभस्म , हरड़ और Haldi को समभाग में मिलाकर 375 मिली ग्राम घी एवं शहद से अथवा केवल हरड़ को गुड़ और शहद के साथ पीलिया से पीड़ित रोगी चाटें । पीलिया रोग में लाभ होता है ।
पेट दर्द
Haldi कीजड़की 10 ग्राम छालको 250 मिलीलीटर पानी में औंटाकर गुड़ मिलाकर पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है ।
पायरिया
सरसों का तेल , हल्दी , सेंधानमक मिलाकर सुबह – शाम मसूड़ों पर लगाकर अच्छी प्रकार मालिश करने तथा बाद में गरम पानी से कुल्ले करने पर मसूड़ों के सब प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं तथा पायरिया में भी लाभ होता है ।
गठिया
दारूहल्दी की शाखाओं का 10 से 20 मिली लीटर क्वाथ पीने से पसीना आकर और विरेचन होकर गठिया की पीड़ा मिटती है ।
ज्वर
दारूहल्दी की जड़ की छाल में बहुत – सा कड़वा सत्व होता है । इसलिए अन्तराल से आने वाले ज्वर को छुड़ाने के लिए यह काम में आती है । इसकी छाल को सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर ज्वर में देने से लाभ होता है या काढ़ा बनाकर पिलाने से ज्वर समाप्त हो जाता है ।
जीर्ण ज्वर
दारूहल्दी की जड़ का 10 से 20 मिली लीटर क्वाथ पिलाने से निरन्तर रहने वाला ज्वर शान्त होकर चला जाता है । यह क्वाथ प्लीहा और यकृत वृद्धि में भी लाभ पहुंचाता है ।
स्तनरोग
स्तन रोगों में Haldi का सूखा कन्द एवं लोध्र को पानी में घिसकर स्तन पर लेप करने से लाभ होता है ।
प्रदर
प्रदर में Haldi का चूर्ण तथा गुग्गुल का चूर्ण समभाग मिलाकर 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह – शाम सेवन करने से लाभ होता है । हल्दी का चूर्ण दूध में उबालकर एवं गुड़ मिलाकर सेवन करने से प्रदर में लाभ होता है ।
स्वर भेद
अजमोद , Haldi , आँवला , यवक्षार , चित्रक , इनके 2 से 5 ग्राम चूर्ण को एक चम्मच शहद के साथ चाटने से स्वरभेद दूर होता है ।
प्रमेह
प्रेमह में 2 से 3 ग्राम Haldi को आँवले के रस तथा शहद में मिलाकर सुबह – शाम सेवन करने से सभी प्रकार के प्रमेहों में लाभ होता है ।
बवासीर
सेहुंड के दूध में 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप करने से अर्श के अंकुर नष्ट हो जाते हैं एवं अर्श पर कड़वी तुरई के चूर्ण के घर्षण से भी अंकुर ( मस्से ) गिर जाते हैं । सरसों के तेल में Haldi तथा घोषलता के समभाग चूर्ण को मिलाकर लेप करने से अर्श के मस्से नष्ट होते हैं ।
वातरक्त
हल्दी , धात्री , नागरमोथा , इनके 100 मिली लीटर क्वाथ को शीतल होने पर 1 चम्मच शहद मिलाकर कफ प्रधान वातरक्त के रोगी को दिन में दो बार सुबह – सायं पीने से लाभ होता है ।
चर्मरोग
खुजली , दाद , फोड़ा , रक्तविकार एवं चर्मरोगों में हल्दी के 2 से 5 ग्राम चूर्ण को गोमूत्र के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से चर्म रोग में लाभ होता है । हल्दी के चूर्ण को मक्खन में मिलाकर रोगग्रस्त स्थान पर इसका लेप करने से लाभ होता है । 5 ग्राम Haldi के साथ 2 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रात : सायं सेवन करने से भी चर्म रोग में लाभ होता है ।
कान का बहना
कान में से पीप निकलता हो तो Haldi और फिटकरी का फूला 1:20 के अनुपात के परिमाण में मिलाकर , दिन में तीन बार 2-2 बूंद कान में डालने से पुराना कर्णस्राव ठीक हो जाता है ।
Haldi क्या है? (हिंदी में हल्दी क्या है?):
हल्दी एक जड़ी बूटी है। इसका उपयोग मसाले के रूप में प्रमुखता से किया जाता है। हिंदू धर्म में, हल्दी का उपयोग पूजा में या किसी भी शुभ कार्य को करते समय किया जाता है। खाने के अलावा हल्दी का इस्तेमाल कई बीमारियों की रोकथाम में भी किया जाता है। वर्तमान में, दुनिया भर में हल्दी के गुणों पर शोध किया जा रहा है और कई शोध आयुर्वेद में वर्णित गुणों की पुष्टि करते हैं।
हल्दी की कई प्रजातियां हैं, मुख्य रूप से निम्नलिखित चार प्रजातियों का उपयोग चिकित्सा में किया जाता है।
करकुमा लोंगा: हल्दी की इस प्रजाति का उपयोग मुख्य रूप से मसाले और दवाओं के रूप में किया जाता है। इसके पौधे 60 से 90 सेमी के बीच होते हैं। इस हल्दी का रंग अंदर से लाल या पीला होता है। यह हल्दी है जिसका उपयोग हम अपने घरों में सब्जी बनाने के लिए करते हैं।
सुगंधित हल्दी: इसे जंगली हल्दी कहा जाता है।
बेल्ड कुरकुमा: यह हल्दी कंद और पत्तियों से कपूर और आम जैसी गंध आती है। इसी कारण से इसे मैंगो जिंजर कहा जाता है।
करकुमा कैसिया: – इसे काली हल्दी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस हल्दी में चमत्कारी गुण होते हैं। इस हल्दी का उपयोग ज्योतिष और तंत्र विद्या में अधिक किया जाता है।
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