नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Babool ke Best 9+ upyog जो आपके बहुत काम सकती है। इसलिए आप से निवेदन है की आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
कई बार हमारे पास Babool होता तो है पर उसके उपयोग हमें पता नहीं होते ऐसे में हमको कई बार इसका उपयोग करना पड़ता है। इसलिए हम आपको बताने वाले है Babool के उपयोग।

अन्य भाषाओं में Babool के नाम
संस्कृत – बब्बूल , किंकिरात , षट्पदमोहिनी
तेलगु – दम्मा , बलवंतुडु
पंजाबी – बाबला
हिन्दी – Babool , बबूर , कीकर
मराठी – बांभूल , बांभल
फारसी – खरेमुधिलान
गुजराती – बाबल
अरबी – उम्मूछिलान
बंगाली – बाबूल गाछ
अंग्रेज़ी – एकेशियाट्री
लैटिन – एकेशिया अराबिका , माईमोसा अराबिका
परिचय
Babool या कीकर सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है । इसकी छाल एवं गोंद व्यावसायिक पदार्थ हैं । यह मरुभूमि में उत्पन्न होने वाला वृक्ष है । चमड़ा सिझाने में इसकी छाल बड़े महत्व की मानी जाती है । इसकी छाल , फलियाँ और गोंद औषधियाँ बनाने में काम आती हैं ।
इसके वृक्ष की ऊँचाई लगभग 15 से 20 फुट तक होती है और ये कंटीले होते हैं । इसका तना गाढ़ाभूरा या कालापन लिए हुए होता है , जिसमें लम्बाई की ओर दरारें पड़ी रहती हैं । शाखाएँ झुकी हुईं एवं गोल होती हैं । इसकी छोटी – छोटी टहनियाँ दातुन के लिए प्रसिद्ध हैं । इसकी दातुन शहरों के बाजारों में बिकती हैं ।
प्रयोग
Babool का प्रयोग तृषा , उदर रोग , पीलिया , कफातिसार , मुखपाक , नेत्ररोग , रक्तातिसार आदि में किया जाता है ।
विभिन्न रोग व उपचार
उदर रोग
Babool की अंतरछाल का क्वाथ बनाकर , उस क्वाथ को औंटाते समय जब उसका घन क्वाथ हो जाए तब इस क्वाथ को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में मढे के साथ लें और पथ्य में सिर्फ मढे का आहार लेने से जलोदर तथा सब प्रकार के उदर रोग ठीक हो जाते हैं ।
पीलिया
इसके पुष्पों के चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर 10 ग्राम की फंकी नियमित रूप से दिन में 3 बार लेने से पीलिया रोग मिटता है ।
अतिसार
Babool की पत्तियों का स्वरस छाछ में मिलाकर पिलाने से अतिसार में लाभ होता है ।
Babool की 2 फलियाँ खाकर ऊपर से छाछ पीना अतिसार में लाभदायक होता है ।
कंठ रोग
Babool के पत्ते और छाल एवं जड़ की छाल सबको समभाग मिलाकर 1 गिलास पानी में भिगो दें । इस प्रकार के कंठ रोग तैयार मिश्रण से कुल्ले करने से गले के रोग मिटते हैं ।
नेत्र रोग
इसके नर्म पत्तों को पीसकर , रस निकालकर 1-2 बूंदें आँख में टपकाने से अथवा स्त्री के दूध के साथ आँख पर बाँधने से आँख की पीड़ा व सूजन मिटती है ।
तृषा
Babool की छाल के काढ़े में मिश्री मिलाकर पीने से तृषा एवं दाह में लाभ होता है ।
अरुची
इसकी कोमल फलियों के अचार में सेंधानमक मिलाकर खाने से रुची बढ़ती है तथा भूख बढ़ती है ।
दंत शूल
Babool की कोमल टहनियों की दातुन करने से भी दाँत निरोग व मज़बूत होते हैं ता दंत शूल में लाभ होता है ।
बबूल की फली का छिलका और बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दंत पीड़ा मिटती।
Babool की छाल के क्वाथ से कुल्ले करने से दाँतों का सड़ना मिट जाता है ।मासिक धर्म बबूल का भुना हुआ गोंद 4 मिली लीटर और गेरू 4 ग्राम इनको पीसकर सुबह फंकी लेने से मासिक धर्म में अधिक रक्त का बहना बंद हो जाता है ।
इसकी 25 ग्राम छाल को 450 ग्राम पानी में औंटाकर शेष 125 मिली लीटर क्वाथ दिन में 3 बार पिलाने से भी मासिक धर्म में अधिक रक्त बहना बंद हो जाता है ।
पसीने की अधिकता
बबूल के पत्ते और बाल हरड़ को बराबर – बराबर मिलाकर महीन पीस लें । इस चूर्ण की सारे बदन पर मालिश करें और कुछ समय रुककर स्नान कर लें । नियमित रूप से यह प्रयोग कुछ दिन तक करने से अधिक पसीना आना बंद हो जाता है ।
संतान
कांतिवान संतान के लिए बबूल के पत्तों का 2 से 4 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन सुबह खिलाने से सुन्दर बालक का जन्म होगा ।
दाद
बबूल के फूलों को सिरके में पीसकर दाद पर लगाने से दाद जड़ से चला जाता है ।
अस्थिभंग
बबूल की फलियों का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में सुबह शाम नियमित रूप से लेने से टूटी हुई हड्डी भी शीघ्र जुड़ जाती है ।
कमर दर्द
बबूल की छाल , फली और गोंद समभाग मिलाकर पीस लें । 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द में आराम मिलेगा ।
कफ अतिसार
बबूल के पत्ते , जीरे और स्याह ज़ीरे को समभाग लेकर पीसकर 10 ग्राम की फंकी रात्रि के समय लेने से कफ
अतिसार
बबूल की गोंद 10 ग्राम को 50 मिली लीटर पानी में भिगोकर , ‘ मसलकर , ‘ छानकर पिलाने से अतिसार और रक्त अतिसार मिटता है ।
बबूल की हरी कोमल पत्तियों के 1 चम्मच रस में शहद मिलाकर 2-3 बार पिलाने से खूनी दस्त लगने बंद हो जाते रक्त अतिसार
मुरवपाक
बबूल की छाल के काढ़े से 2-3 बार गरारे करने से मुख पाक में लाभ होता है । गोंद के टुकड़े चूसते रहने से भी मुख पाक में आराम होता है ।
वीर्य विका
बबूल की फलियों को छाया में सुखाकर पीस लें और बराबर की मात्रा में मिश्री मिला लें । 1 चम्मच की मात्रा सुबह – शाम नियमित रूप से जल के साथ सेवन करने से वीर्य गाढ़ा होगा और सब प्रकार के विकार दूर होंगे ।
वीर्य वर्धक
बबूल की गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है और प्रसूति काल में स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है ।
रक्तस्त्राव
शरीर के किसी भी अंग में रक्तस्त्राव हो तो उस पर हरे पत्तों का रस पीसकर लगाना चाहिए या सूखे पत्रों का चूर्ण या सूखी छाल का चूर्ण उस पर छिड़क देना चाहिए । रक्त स्त्राव बद हो जाता है ।
बबूल के 10-15 कोमल पत्तों को 2-4 नग काली मिर्च और 2 चम्मच शक्कर के साथ पीसकर एवं छानकर पिलाने से आमाशय से रक्त का बहना बंद हो जाता है ।
व्रण
बबूल के पत्तों का लेप व्रण के ज़ख्म को भरता है और गर्मी की सूजन दूर करता है ।
शरीर में जलन की समस्या
यदि आपके शरीर में कहीं भी तेज जलन होती है, तो बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर पिएं। इस काढ़े में थोड़ी चीनी मिलाएं। इस काढ़े का सेवन करने से कुछ दिनों में शरीर में जलन कम हो जाएगी।
पीठ दर्द का इलाज
अगर आपको बैठने और बैठने के कारण पीठ दर्द की समस्या है, तो बबूल इस समस्या को कम कर सकता है। इसका उपयोग करने के लिए, बबूल की फली, छाल और गोंद को समान मात्रा में लें। अच्छी तरह पीस लें। इसे लेने से पीठ दर्द से राहत मिलेगी।
खुजली से राहत
गर्मियों में पसीने के कारण दाद की समस्या बहुत अधिक हो जाती है। ऐसे में इसे ठीक करने के लिए कुछ बबूल के फूल लें। इन फूलों को सिरके के साथ पीस लें। इसे खुजली वाले क्षेत्रों पर लगाएं। इस पेस्ट के आवेदन से दाद और खुजली की समस्या ठीक हो जाएगी।
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