Asgandh अन्य भाषाओं में इसके नाम
संस्कृत – अश्वगंधा , वाराहकर्णी
बंगाली – अश्वगंधा
हिन्दी – असगंध
तेलगु – पिल्ली आंगा
गुजराती – आसोंद , आरबसंघ
अंग्रेज़ी – विन्टरचैरी
मराठी – आसगंध , आसकंद
लैटिन – विधानियासोमनीफिरा

परिचय
Asgandh भारत का एक सुप्रसिद्ध औषधीय पौधा है । यह देश के शुष्क व गर्म क्षेत्रों में आमतौर से होता है । इसका पौधा हरा – भरा , छतीला और आधे से 1 या सवा मीटर की ऊँचाई वाला तथा देखने में अत्यन्त आकर्षक होता है।असगंध की जड़ आमतौर पर पतली पैंसिल या उससे भी कम – ज्यादा मोटाई में काफी लम्बी निकलती है । जड़ का ऊपरी भाग धूसर होता है । तोड़ने पर यह अन्दर से सफेद दिखाई देती है । इसकी ताज़ी जड़ से घोड़े के मूत्र की तरह तेज़ गंध आती है । इसलिए इसको अश्वगंधा या असगंध कहा जाता है । अधिकतर असगंध की जड़ दवा के रूप में प्रयोग की जाती है ।
प्रयोग
असगंध एक अत्यन्त उपयोगी औषधि है । इसका प्रयोग मुख्यतः शरीर को पुष्ट एवं बलवान बनाने के लिए किया जाता है । Asgandh की मूल के चूर्ण को दूध में उबालकर , छानकर एवं चीनी डालकर रोज़ पीने से क्षयरोग , बालशोष ( बच्चों का सूखना ) , स्त्रियों के कटिशूल एवं श्वेतप्रदर में बहुत अधिक लाभ होता है । यह अत्यन्त पौष्टिक औषधि है ।
विशेषतः यह नाड़ीदौर्बल्य के लिए अत्यन्त लाभदायक है । शोधकार्यों से स्पष्ट हुआ है कि मानसिक चिंता से उत्पन्न शारीरिक रोगों में इसके सेवन से बहुत लाभ होता है ।
विभिन्न रोग व उपचार
क्षयरोग
2 ग्राम असगंध चूर्ण को Asgandh के ही 20 मिली लीटर क्वाथ के साथ सेवन करने से क्षय रोग में लाभ होता है । 2 ग्राम असगंध मूल के चूर्ण में 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण , 5 ग्राम घी और 10 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से क्षयरोग में लाभ होता है ।
शारीरिक दुर्बलता
Asgandh चूर्ण 6 ग्राम , इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री और बराबर की मात्रा में शहद मिलाकर इसमें 10 ग्राम गाय का घी और मिलाएँ । इस मिश्रण को शीतकाल में सुबह शाम 4 मास तक सेवन करने से बूढ़ा व्यक्ति भी युवक की तरह शक्तिशाली हो जाता है ।
Asgandh का चूर्ण , तिल व घी 10-10 ग्राम लेकर और 3 ग्राम शहद मिलाकर नित्य सेवन करने से दुबले शरीर वाला बालक भी मोटा हो जाता है ।
इसका 1 वर्ष तक यथाविधि सेवन करने से दुबले शरीर वाला व्यक्ति भी बलवान हो जाता है । यह वृद्धावस्था को दूर कर मनुष्य को जवान कर देता है ।
गर्भाधान ( गर्भधारण ) करना
Asgandh का चूर्ण गाय के घी में मिलाकर मासिक – धर्म स्नान के पश्चात प्रतिदिन गाय के दूध के साथ या ताज़े जल से 4-6 ग्राम की मात्रा में 1 महीने तक लगातार सेवन करने से स्त्री गर्भधारण अवश्य करती है ।
Asgandh चूर्ण 20 ग्राम , जल 1 लीटर , गाय का दूध 250 मिली लीटर , तीनों को धीमी आँच पर पकाएँ । जब दूध मात्र शेष रह जाए तब इसमें 6 ग्राम मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिलाकर मासिकधर्म की शुद्धि , स्नान के 3 दिन बाद , 3 दिन तक सेवन करने से स्त्री अवश्य गर्भ धारण करती है ।
गर्भपात
जिन स्त्रियों में गर्भपात की आदत होती है वे Asgandh और सफेद कटेरी की जड़ इन दोनों का 10-10 ग्राम स्वरस पहले महीने से 5 महीने तक सेवन करें । अकाल में गर्भपात नहीं होगा और गर्भपात के समय सेवन करने से गर्भ रुक जाएगा ।
अनिद्रा
गर्म दूध में 1 चम्मच देसी घी और 1 चम्मच Asgandh का चूर्ण मिलाकर उसमें चीनी या देसी खाण्ड स्वादानुसार मिलाकर सोने से लगभग 1 घंटे पहले सेवन करें । इससे अनिद्रा में लाभ होता है ।
मधुमेह रोगी मिठास के लिए 1 चम्मच शहद मिलाएँ या ‘ शूगर फ्री ‘ सरीखी कोई दवा की 1-2 गोली डालकर दूध का सेवन करें । दूध की मात्रा 1 कप या 200 मिली लीटर हो ।
वात विकार
Asgandh चूर्ण 10 ग्राम , सोंठ 5 ग्राम और मिश्री 5 से 10 ग्राम मिलाकर जल से सेवन करें । वात विकार में लाभ मिलता है ।
250 मिली लीटर दूध , 250 मिली लीटर जल और 10 ग्राम असगंध चूर्ण मिलाकर धीमी आँच पर पकाएँ । जब पानी जलकर उड़ जाए तो छानकर बाकी भाग का सेवन करें । इससे वात विकार समाप्त हो जाता है ।
रक्त विकार
4 ग्राम चोपचीनी और Asgandh का बारीक पिसा चूर्ण ( दोनों बराबर मात्रा में लें ) शहद के साथ नियमित रूप से प्रातः – सायं चाटने से रक्त विकार मिटता है ।
खाँसी
Asgandh 10 ग्राम जड़ को कूट लें । इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिली लीटर जल में पकाएँ । जब आठवाँ हिस्सा रह जाए तो इसे थोड़ा – थोड़ा पिलाने से कुकुर खाँसी या वातजन्य कास में विशेष लाभ होता है ।
असगंध के पत्तों का घनक्वाथ 40 ग्राम , बहेड़े का चूर्ण 20 ग्राम , कत्था चूर्ण 10 ग्राम , काली मिर्च 5 ग्राम , सेंधानमक ढाई ग्राम को मिलाकर 500 मिलीग्राम की गोलियाँ बना लें । इन गोलियों को चूसने से सब प्रकार की खाँसी होती है 1 क्षयकास में भी यह विशेष लाभदायक हैं ।
गठिया
Asgandh के पंचांग को कूटकर , छानकर 25 से 50 ग्राम तक सेवन करने से गठिया वात दूर होता है । गठिया में असगंध के 30 ग्राम ताज़ा पत्ते , 250 मिली लीटर पानी में उबालकर , जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पी लें । एक सप्ताह पीने से गठिया से जकड़ा रोग बिल्कुल ठीक हो जाता है तथा इसका लेप भी बहुत लाभदायक है।
नेत्रज्योति बढ़ाने
असणध का चूर्ण 2 ग्राम , आंवला चूर्ण 2 ग्राम तथा 1 शाम मुलहठी चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच प्रातः एवं सायं जल के साथ सेवन करने से नेत्रज्योति बढ़ती है ।
स्मति दौर्बल्य
1 चम्मच Asgandh और 1 चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण लेकर इसे 2 चम्मच शहद में डालकर मिलाएँ और दिन में 1-2 बार चा।लाभ होगा ।
ज्वर
असगंधकाचूर्ण 5 ग्राम , चूर्ण 4 ग्राम दोनों को मिलाकर प्रतिदिन शाम को गर्म पानी से खाने से जीर्ण वातज्वर दूर हो जाता है नपुंसकता Asgandh , दाल चीनी और कडुवा कूठ समभाग कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5 से 10 ग्राम की मात्रा में प्रातः – सायं सुपारी छोड़ शेष लिंग पर मलें । इसको मलने से पूर्व और बाद में लिंग को गर्म पानी से धो लें ।
असगंध को कपड़छन कर चूर्ण बना लें और बराबर मात्रा में खाण्ड मिलाकर रख लें । इसको 1 चम्मच गाय के ताजे दूध के साथ प्रातः भोजन से 3 घंटे पूर्व सेवन करें । चुटकीभर चूर्ण खाकर ऊपर से दूध पीएँ और रात्रि के समय बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह घोटकर लगाने से इन्द्रिय की शिथिलता दूर होकर वह कठोर और दृढ़ हो जाती है ।
हृदय शूल
वात के कारण हृदय रोग में Asgandh का चूर्ण 2 ग्राम गरम जल के साथ लेने से लाभ होता है ।
Asgandh चूर्ण में बहेड़े का चूर्ण समभाग मिलाकर 5 से 10 ग्राम की मात्रा गुड़ के साथ लेने से हृदय सम्बन्धी वात पीड़ा दूर होती है ।
कृमि रोग
Asgandh चूर्ण में समान भाग में गिलोय का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ 5 से 10 ग्राम नियमित सेवन करने से लाभ होता है ।
बद्धकोष्ठता
5 ग्राम Asgandh चूर्ण की फंकी गरम जल के साथ लेने से बद्धकोष्ठता मिटती है ।
![]() |
Pingback: Apamarg KE BEST 9+ UPYOG JO AAPKO JANNA CHAIYE - allmovieinfo.net