नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Arjun के अनोखे उपयोग बहुत से जगह काम आ सकते है तो आप अंत तक जरूर पढ़े Arjun के उपयोग को।
कई बार हमारे पास अर्जुन होता तो है पर उसके उपयोग हमें पता नहीं होते ऐसे में हमको कई बार इसका उपयोग करना पड़ता है। इसलिए हम आपको बताने वाले है अर्जुन के उपयोग।

अर्जुन अन्य भाषाओं में इसके नाम
बंगाली- अर्जुन , गाछ
संस्कृत – इन्द्रदु , वीरवृक्ष , ककुभ
हिन्दी – अर्जुन , कोह
पंजाबी – कौ , कोह
गुजराती – घोलो , साजड़ , सादडो
अंग्रेज़ी – अर्जुन
मराठी – सावड़ा
लैटिन – टर्मिनैलिया अर्जुन
Arjun का परिचय
अर्जुन का वृक्ष प्रायः समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है । विशेष रूप से मुम्बई व मद्रास के जंगलों , उत्तरप्रदेश , बिहार , हिमालय के तराई वाले क्षेत्र और मध्य भारत में यह अधिक पाया जाता है । बाग – बगीचों एवं सड़कों के किनारे इसके वृक्ष लगाए जाते हैं । इसके पेड़ों की ऊँचाई लगभग 60 से 80 फुट तक होती है । इसका तना काफी मोटा होता है । इस विशाल वृक्ष की ऊपरी छाल सफेद – सी होती है , किन्तु अंदरूनी छाल मोटी और गुलाबी रंग की होती है । यदि इसे काटा जाए तो इसमें से दूधिया रस निकलता है । आमतौर से इस वृक्ष की छाल का ही औषधियों में प्रयोग होता है ।
अर्जुन का प्रयोग
अर्जुन की छाल के चूर्ण को खाने या उसका क्वाथ बनाकर दूध के साथ पीने से हृदय रोगों में बहुत लाभ होता है।विशेषतया हृदयगत रक्तवाहिनियों की बीमारियों से बचने के लिए यह अत्यन्त लाभदायक है । इन हृदयगत रक्तवाहिनियों के संकुचन से होने वाले हृदयशूल में अर्जुन की छाल का चूर्ण अथवा क्वाथ देने से बहुत लाभ होता है ।
अर्जुन का विभिन्न रोग व उपचार
Arjun का मुँहासे में उपयोग
अर्जुन की छाल को पाउडर की तरह बारीक पीसकर उसमें शहद मिलाकर मुँहासों पर लगाएँ । लेप करने के 2 घंटे बाद चेहरे को पानी से धो लें ।
Arjun का हृदय की धड़कन तेज़ होना में उपयोग
जब हृदय सामान्य से अधिक तीव्र गति से धड़कने लगे , बेचैनी हो या मन घबराए तो एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण एक गिलास टमाटर के जूस में मिलाकर पिएँ । यदि धड़कन फिर भी सामान्य न हो तो यही प्रयोग दोहराएँ ।
अर्जुन का अस्थिभंग में उपयोग
यदि किसी कारण से हड्डी टूट गई हो और उसके जुड़ने में कठिनाई हो या अधिक समय लगने का अंदेशा हो तो दिन में तीन बार एक चम्मच अर्जुन का महीन चूर्ण एक कप दूध के साथ लें । इससे हड्डी शीघ्र ही जुड़ जाएगी और सुदृढ़ भी होगी । यदि अर्जुन की छाल को घी में पीसकर लेप किया जाए तो भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है । लेप लगाने के स्थान पर कपड़ा बाँध लें ।
Arjun का रक्तातिसार में उपयोग
अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण 5 ग्राम , गाय के 250 मिली लीटर दूध में डालकर इसी में लगभग 250 मिली लीटर पानी डालकर मंद आँच पर पकाएँ । जब दूध मात्र शेष रह जाए तब उतारकर ठंडा हो जाने पर उसमें 10 ग्राम मिश्री या शक्कर मिला , रोज़ सवेरे पीने से हृदय सम्बन्धी सब रोग दूर हो जाते हैं । यह सिद्ध दूध विशेषतः वातज हृदय रोग में तथा जीर्णज्वर , रक्तातिसार और रक्तपित्त में भी लाभदायक है ।
अर्जुन का बादी के रोग में उपयोग
अर्जुन की जड़ की छाल का और गंगेरन की जड़ की छाल का बराबर मात्रा में चूर्ण कर दो – दो ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण नियमित रूप से सुबह – शाम फंकी देकर ऊपर से दूध पिलाने से बादी के रोग मिटते हैं ।
Arjun का उदावत में उपयोग
मूत्रवेग को रोकने से पैदा हुए उदावर्त्त को मिटाने के लिए इसकी छाल का 40 मिली लीटर क्वाथ नियमित प्रातः सायं पिलाना चाहिए ।
अर्जुन का रक्तप्रदर में उपयोग
अर्जुन की छाल का 1 चम्मच चूर्ण 1 कप दूध में उबालकर पकाएँ । आधा शेष रहने पर थोड़ी मात्रा में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें । रक्तप्रदर में लाभ होता है ।
Arjun का ज्वर में उपयोग
इसकी छाल का 40 मिली लीटर क्वाथ पिलाने से ज्वर टूट जाता है ।
अर्जुन का शुक्रमेह में उपयोग
शुक्रमेह के रोगी को अर्जुन की छाल या श्वेत चंदन का क्वाथ नियमित रूप से प्रातः – सायं पिलाने से लाभ होता है ।
अर्जुन का हृदय रोग में उपयोग
हृदय की शिथिलता में एवं उसमें उत्पन्न शोथ में इसकी छाल का 6 ग्राम से 10 ग्राम तक चूर्ण , दूध और के साथ पकाकर और छानकर पिलाने से रक्तलसिका ग्रंथि का जल रक्तवाहिनियों में नहीं भर पाता । फलत : शोथ का बढ़ना रुक जाता है , जिससे हृदय की शिथिलता दूर हो जाती है ।
Arjun की छाल को साफ करके इसका बारीक चूर्ण बनाएँ । एक चम्मच चूर्ण को 150-200 मिलीलिटर दूध ( मलाई निकालकर ) के साथ रोज़ाना सेवन करें । इससे हृदय की कार्यक्षमता बढ़ती है । हृदय को बल मिलता है , हृदय की गति सामान्य होती है और कमज़ोरी दूर होती है ।
अर्जुन का शरीर की बदबू में उपयोग
अर्जुन और जामुन के सूखे पत्तों के बारीक चूर्ण से उबटन तैयार करके शरीर पर मलें और कुछ देर बाद स्नान करें तो शरीर में पसीने से पैद होने वाली बदबू समाप्त हो जाती है ।
अर्जुन का आग से जल जाना में उपयोग
जलने से जो घाव हो जाते हैं , उन पर यदि अर्जुन की छाल का चूर्ण लगाया जाए तो घाव शीघ्र भर जाते हैं ।
अर्जुन का कान का दर्द में उपयोग
अर्जुन के पत्तों के स्वरस की 3-4 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है ।
मोटापा रुकता है
अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से मोटापा नहीं होता, क्योंकि इसके लगातार सेवन से पाचन तंत्र ठीक रहता है। अगर इसका लगातार सेवन किया जाए तो इसका असर केवल एक महीने तक देखा जा सकता है। Arjun की छाल से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है, जिससे सर्दी खांसी जैसी बीमारियां भी नहीं होती हैं।
मुंह के छाले दूर होते हैं
चूंकि अर्जुन की छाल से पेट साफ होता है और इसका असर ठंडा होता है, अगर इसका रोजाना सेवन किया जाए तो मुंह में छाले कभी नहीं होते हैं। इसके अलावा, यह बिना दवाई लिए स्वाभाविक रूप से रक्त को पतला करने की दवा भी है। इसके इस्तेमाल से उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न नहीं होती है।
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