नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Arand ke Best 9+ upyog जो आपके बहुत काम सकती है। इसलिए आप से निवेदन है की आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
कई बार हमारे पास Arand होता तो है पर उसके उपयोग हमें पता नहीं होते ऐसे में हमको कई बार इसका उपयोग करना पड़ता है। इसलिए हम आपको बताने वाले है Arand के उपयोग।

अन्य भाषाओं में Arand के नाम
संस्कृत – एरण्ड , गन्धर्वहस्तक , वर्द्धमान
बंगाली – भेराण्डा , शादारेंडी
हिन्दी – अरण्ड , सफेद अरण्ड , अण्डउवा
अंग्रेजी – कास्टरआयल प्लांट
मराठी – एरंड
लैटिन – रिसिनस कॉम्युनिस
गुजराती – एरण्डो , दिवेलेगो
फारसी – वेदंजीर
परिचय
Arand का पौधा खेतों के किनारे पर लगाया जाता है । इसके पौधे की ऊँचाई 3 से 5 मीटर तक होती है । इसका तना स्निग्ध , चिकना और छोटी – छोटी शाखाओं वाला होता है । पत्ते खंडित , हरे और उंगलियों की तरह होते हैं , जो 5-10 भागों में विभाजित होते हैं । इसके फूलों का रंग बैंगनी – लाल होता है जो टहनी पर उगते हैं।
इसका फल भी लाल – बैंगनी रंग के गुच्छों की शक्ल में होता है और 3-3 बीज हर फल में होते हैं । बीजों का छिलका कड़ा होता है और भीतर से तरल पदार्थ निकलता है । यही Arand का तेल होता है । एरण्ड की दो किस्में हैं- लाल और सफेद ।
प्रयोग
यह कोष्ठशुद्धि के लिए एक परम उपयोगी औषधि है । इसके साथ ही यह एक उत्तम वातनाशक औषधि है । वात प्रकोप से उत्पन्न कब्ज़ में तथा वात व्याधियों में कम मात्रा में इसका उपयोग औषधि के रूप में भी कर सकते हैं । अर्श एवं भगन्दर तथा गुदभ्रंश के रोगियों में एरण्डपाक के सेवन से बिना ज़ोर लगाए पाखाना साफ होता है , जिससे रोगी को उक्त व्याधियों से होने वाले दैनिक कष्ट से मुक्ति मिल जाती है ।
विभिन्न रोग व उपचार
मालिश
यदि स्नान से पहले सारे शरीर पर Arand के तेल की मालिश की जाए और एक घंटा बाद गुनगुने या गरम जल से स्नान किया जाए तो त्वचा निखरती है । शरीर में चुस्ती , बल और उत्साह पैदा होता है और नींद भी गहरी आती है ।
स्तन गाँठ
जब किसी स्त्री के दूध आना बंद हो जाता है और स्तनों में गाँठें पड़ जाती हैं , तब Arand के 500 ग्राम पत्तों को 20 लीटर जल में घंटा भर उबालें तथा गरम पानी की धार 15 20 मिनट स्त्री के स्तनों पर डालें , एरण्ड तेल की मालिश करें , उबले हुए पत्तों की महीन पुल्टिस स्तनों पर बाँधे । गाँठे बिखर जाएँगी और दूध का प्रवाह पुनः प्रारम्भ हो जाएगा ।
मासिकधर्म
Arand के पत्तों को गर्म कर पेट पर बाँधने से मासिक धर्म ठीक से होने लगता है ।
गर्भ निरोधक प्रयोग
माहवारी समाप्त होने के बाद यदि कोई स्त्री रोज़ाना सात दिनों तक एक बीज Arand का सेवन करे तो वह बन्ध्या हो जाती है । वैसे माहवारी समाप्त होने से लेकर अगली माहवारी प्रारम्भ होने तक यदि कोई स्त्री इस दौरान रोज़ाना एक – एक बीज चबाकर खाती रहे तो उसे गर्भ नहीं ठहरेगा । जब संतानोत्पत्ति की इच्छा हो तो इस प्रयोग को बंद कर दें
पायरिया
कपूर को बारीक पीसकर Arand के तेल में मिलाकर रोज़ाना मसूड़ों की मालिश करें । पायरिया समाप्त हो जाता है ।
बालों के लिए
जिनकी पलकों और भौंहों पर बाल न हों या कम उगे हों या शिशुओं के सिर पर बाल न हों या कम हों तो नियमित रूप से Arand के तेल की मालिश करें । कुछ ही सप्ताह के प्रयोग के बाद अभावग्रस्त स्थान पर सुन्दर , काले और घने बाल उगने लगेंगे ।
रूसी
Arand के तेल की सिर पर रोज़ाना मालिश करने से बालों की रूसी मिट जाती है और बालों की उपज भी अधिक और घनी हो जाती है ।
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए
प्रसव के बाद छातियों पर Arand के तेल की मालिश करने से स्तनों से दूध अधिक निकलने लगता है , क्योंकि यह स्तन – ग्रंथियों को उत्तेजित करता है ।
पेट की चर्बी
पेट पर चढ़ी हुई चर्बी को उतारने के लिए हरे Arand की 20 ग्राम से 50 ग्राम मूल को धोकर कूटकर 200 मिली लीटर पानी में पकाकर 50 मिली लीटर शेष रहने पर पानी को प्रतिदिन पीने से पेट की चर्बी उतरती है ।
सूजन
किसी प्रकार की सूजन हो , चोट , हड्डी इत्यादि की सूजन आमवात इत्यादि की सूजन में Arand के पत्तों को गर्म कर तेल चुपड़कर बाँधने से लाभ होता है ।
तिल
पत्र के वृन्त पर थोड़ा चूना लगा तिल पर बार – बार घिसने से तिल निकल जाता है ।
पुराना कब्ज़ रोग
यदि कब्ज पुराना हो जाए और बार – बार कब्ज की शिकायत बनी रहे तो रात को सोते समय एरण्ड का तेल 20 से 30 मिली लीटर की मात्रा में गर्म दूध के साथ लें । कुछ दिनों तक लगातार लेने से हर प्रकार की कब्ज दूर हो जाती है । स्थिति सामान्य होते ही प्रयोग बंद कर दें ।
आग से जल जाने पर
थोड़े से चूने में एरण्ड का तेल फेंटकर जले हुए स्थान पर लगाने से घाव शीघ्र भर जाते हैं अथवा इसी तेल में सरसों का तेल फेंटकर लगाया जाए तो भी लाभ होगा ।
मोटापे से राहत के लिए
एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर उसे छान लें और एक – एक चम्मच की मात्रा शहद में मिलाकर 3-4 बार लें । मोटापे से राहत मिलती है ।
असान प्रसव के लिए
यदि 3 से 5 चम्मच एरण्ड का तेल गर्म दूध के साथ गर्भिणी महिला को प्रसव से पहले दिया जाए तो शिशु का जन्म आसानी से हो जाता है ।
अरंडी का तेल एक सुरक्षित रेचक है। यह कुष्ठ रोग के लिए एक अत्यंत उपयोगी औषधि है और यह एक अच्छी बूंद भी है। यह कब्ज और गठिया की वजह से होने वाली समस्याओं में थोड़ी मात्रा में दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
बवासीर, भगन्दर और गुदब्रश के रोगियों में, एरंडपाक के उपयोग से मल बिना किसी तनाव के साफ हो जाता है, जिससे रोगी को बताये गए रोगों से होने वाले दैनिक कष्ट से राहत मिलती है। दवा के साथ-साथ, यह पोषण का भी काम करता है।
कैस्टर एक कफ और वात reducer, पित्त बढ़ाने वाला, सूजन और दर्द को कम करने वाला, ज्वरनाशक, कृमि नाशक, कफ reducer, मूत्रवर्धक, शुक्राणु, गर्भाशय क्लींजर, कुष्ठ और ज्वरनाशक है।
कैस्टर ऑयल या कैस्टर ऑयल रिफाइनर त्वचा के लिए फायदेमंद है, डिटॉक्सिफाईंग और खांसी को कम करता है।
आशा करते है की आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा। हमारा उदेस्य आपको बहुत अच्छी अच्छी वैल्यू देने की होती है ऐसे में आपको जो यह आर्टिकल मिल रहा है यह बहुत वाळुबल है।
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