नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो apamarg ke Best 9+ upyog जो आपके बहुत काम सकती है। इसलिए आप से निवेदन है की आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
कई बार हमारे पास apamarg होता तो है पर उसके उपयोग हमें पता नहीं होते ऐसे में हमको कई बार इसका उपयोग करना पड़ता है। इसलिए हम आपको बताने वाले है apamarg के उपयोग।

अन्य भाषाओं में apamarg नाम
संस्कृत – अपामार्ग , शिखरी , मर्कटी बंगाली- अपांग हिन्दी – चिरचिटा , लटजीरा , चिंचीड़ा
अंग्रेज़ी – रफ़चेफ़ट्री
गुजराती- अघेड़ो
लैटिन – एचिरेन्थस एस्पेरा
मराठी – अघाड़ा , आघोड़ा
परिचय
apamarg का पौधा खेतों में घास के साथ प्रायः पाया जाता है । यह शुष्क स्थानों पर पैदा होता है । यह पौधा लगभग 2 से 4 फुट ऊँचा होता है । इसकी दो किस्में पाई जाती हैं लाल और सफेद।लाल अपामार्ग के डंठल लाल और उन पर लाल रंग के दाग होते हैं । जबकि सफेद अपामार्ग के डंठल हरे रंग के होते हैं , जिन पर सफेद भूरे रंग के दाग होते हैं । इस पर चपटे और कुछ गोल आकार के फल उगते हैं ।
प्रयोग
apamarg का प्रयोग गंजापन दूर करने , तिल्ली का आकार सामान्य करने , खाँसी , चर्म रोग आदि में किया जाता है ।
विभिन्न रोग व उपचार
स्वप्नदोष
apamarg की जड़ का चूर्ण और मिश्री बराबर की मात्रा में मिलाकर रोज़ाना 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 2-4 बार सेवन करने से स्वप्नदोष समाप्त हो जाता है ।
गंजापन
apamarg के पत्तों को जलाने के बाद सरसों के तेल में मसल लें । इस प्रकार मरहम तैयार हो जाएगा । यदि इस मरहम को गंज वाली जगह पर नियमित रूप से लगाएँ तो गंजेपन की जगह नए बाल उग आते हैं ।
मोटापा
apamarg की खीर बनाकर रोज़ाना सेवन करने से शरीर में जमा हुई अतिरिक्त चर्बी घटने लगती है ।
विषदंत
apamarg के पत्तों को पानी में पीसकर लेप तैयार करके उस स्थान पर लगाएँ जहाँ कीड़े – मकोड़े , मक्खी , मकड़ी या किसी अन्य जहरीले जानवर ने काटा हो। विष्स दंत लाभ होता है ।
घाव व मस्से आदि हो जाने पर
apamarg के पत्तों को बाँधने से तेज़ औज़ार ( जैसे चाकू , ब्लेड , शीशा आदि ) द्वारा होने वाले घाव ठीक हो जाते हैं ।
apamarg का पत्ता किसी भी प्रकार के घाव पर बाँधने से घाव सूख जाता है ।
अलसर और मस्सों के लिए अपामार्ग की जड़ की राख को हरताल में मिलाकर मरहम तैयार करें और प्रभावित जगह पर लगाएँ । मस्से आदि नष्ट हो जाते हैं।
गर्भाधान और संतान प्राप्ति के लिए
apamarg की जड़ को साफ करके उसका रस 5 ग्राम की मात्रा में मासिक धर्म समाप्त होने के बाद 21 दिनों तक लगातार सेवन किया जाए तो गर्भ ठहर जाता है ।
apamarg के ताजे पत्तों का रस 10 मिली लीटर ( 2 चम्मच ) को 200 मिली लीटर दूध के साथ मासिक धर्म समाप्त होने के बाद सेवन किया जाए तो गर्भ ठहरने की संभावना होती है ।
प्रसव पीड़ा अथवा प्रसव में विलंब होने पर
यदि गर्भवती महिला को प्रसव से पहले बहुत दर्द हो और प्रसव होने में देर हो रही हो तो उसके कटिप्रदेश में apamarg की जड़ बाँधने से प्रसव आसानी से जल्दी और बिना दर्द हो जाता है ।
परन्तु बच्चा होने के तुरन्त बाद जड़ को उसी समय हटा दें वरना गर्भाशय भी बाहर निकल पड़ेगा ।
पुष्य नक्षत्र या रविवार के दिन जड़ समेत उखाड़ी गई apamarg की जड़ काले कपड़े में लपेटकर गर्भवती महिला के गले में बाँधने से भी प्रसव शीघ्र और आसानी से हो जाता है । परन्तु प्रसव के फौरन बाद बाँधी हुई जड़ को हटा दें वरना गर्भाशय भी बाहर आ जाएगा ।
शीघ्रपतन को दूर करने और स्तम्भन बढ़ाने के लिए
apamarg की जड़ को उखाड़कर धो लें , फिर इसका चूर्ण बना लें । यह चूर्ण ठंडे दूध के साथ रोज़ाना 10 ग्राम की मात्रा में कुछ समय तक लगातार सेवन करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है तथा वीर्य गाढ़ा हो जाता है । अधिक और शीघ्र प्रभाव के लिए दूध में 1-2 चम्मच शहद भी मिला लें ।
तिल्ली का बढ़ना
apamarg की जड़ का चूर्ण 15 से 25 ग्राम तक दिन में दो बार लस्सी या दही के साथ 3-4 सप्ताह तक नियमित रूप से सेवन करने से तिल्ली का आकार सामान्य हो जाता है और सूजन कम हो जाती है ।
शरीर को पुष्ट बनाने के लिए
apamarg के बीजों को तवे पर धीमी आँच पर भूनकर उसका चूर्ण बना लें । इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर रोजाना सुबह – शाम दूध के साथ नियमित रूप से सेवन किया जाए तो शरीर पुष्ट हो जाता है ।
मलेरिया ज्वर से बचाव
जिन दिनों मलेरिया ज्वर फैलने की आशंका हो , उन दिनों मलेरिया से बचाव के लिए apamarg के पत्ते और काली मिर्च को समान मात्रा में लेकर पीस लें और फिर उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर मटर के आकार की गोलियाँ बना लें । यदि मलेरिया फैलने की आशंका हो या मलेरिया फैल रहा हो तों नियमित रूप से 2-4 दिन तक एक – एक गोली भोजन के बाद लें ।
स्वाँसी करने के लिए
apamarg बूटी की भस्म तैयार करके उसे चार गुना ‘ पानी में भिगोकर रात को रख दें । इस पानी को भाप पैदा होने तक उबालें । उबालने के बाद उसे छान लें । इसकी मात्रा चौथाई से आधा चम्मच रोज़ाना 2-3 बार सेवन करने से प्रायः सभी प्रकार की खाँसी में लाभ होता है ।
गुर्दे के रोग के कारण होने वाली सूजन
जब गुर्दे सामान्य रूप से काम नहीं करते तो कई बार हाथ – पाँव , मुँह आदि पर सूजन जाती है । इस रोग के निवारण के लिए 60 ग्राम apamarg के पत्तों को 150 मिली लीटर पानी में 20-30 मिनट उबालकर काढ़ा तैयार करें । काढ़े को ठंडा करके छलनी से छान लें । दिन में 2-3 बार इस काढ़े को 30 से 50 मिली लीटर तक लेने से सूजन समाप्त हो जाती है ।
दंत रोग
यदि दाँत कमज़ोर हो गए हों तो apamarg के फूलों की मंजरी को पीसकर उससे दाँतों की मालिश करें । दाँतों में पीड़ा हो तो अपामार्ग के पत्तों का रस वेदनामय दाँतों पर लगाएँ ।
दाँतों की बदबू दूर करने और दाँतों को मजबूत करने के लिए रोज़ाना apamarg की जड़ या तने की दातुन करें । इससे अन्य दंत रोग भी दूर हो जाते हैं।
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